Tuesday, November 10, 2009

तुम बिन


तुम बिन जिया जाए कैसे ऐसे जिया जाए तुम बिन
सदियों सी लम्बी है रातें, सदियों से लम्बे हुवे दिन
आ जाओ लौट कर तुम यह दिल कह रहा है
आ जाओ लौट कर तुम यह दिल कह रहा है
फिर शामे तान्हाये जागी
फिर याद तुम आ रहे हो
फिर जान निकल ने लगी है
फिर मुझको तदपा रहे हो
आ जाओ लौट कर तुम यह दिल कह रहा है
क्या क्या न सोचा है मैंने
क्या क्या न सपने सजाये
क्या क्या न चाहा है दिल ने
क्या क्या न अरमान जगाये
इस दिल से तूफ़ान गुज़रते है
तुम बिन तो जीते न मरते है
आ जाओ लौट कर तुम यह दिल कह रहा है
आ जाओ लौट कर तुम यह दिल कह रहा है
तुम बिन जिया जाए कैसे, कैसे जिया जाए तुम बिन

कभी कभी



कभी कभी मेरे दिल मैं ख्याल आता हैं
की ज़िन्दगी तेरी जुल्फों की नरम छाओं मैं गुजरने पाती
तो सादाब हो भी सकती थी
यह रंझो ग़म की सियाही जो दिल पे छाई हैं
तेरी नज़र की सुअहों मैं खो भी सकती थी
मगर यह हो सका
मगर यह हो सका और अब ये आलम हैं
की तु नहीं, तेरा ग़म, तेरी जूस्तजू भी नहीं
गुज़र रही हैं कुछ इस तरह ज़िन्दगी जैसे, इस्से किसी के सहारे की आरजू भी नहीं
कोई राह, मंजिल, रोशनी का सूरज
भटक रही है अंधेरों मैं ज़िन्दगी मेरी
इन्ही अंधेरों मैं रह जाऊँगा कभी खो कर
मैं जनता हूँ मेरी हम-नफास, मगर यूंही
कभी कभी मेरे दिल मैं ख्याल आता हैं